शनिवार को जन्माष्टमी का त्यौहार पुरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है , यह एक ऐसा त्योहार है जिसे दुनियाभर में हिंदू धर्म के लोग मनाते हैं. विदेश में रहने वाले लोग भी भारतीय परंपरा को जीवित रखने के लिहाज से जन्माष्टमी का त्योहार बड़े जोश के साथ मनाते हैं ,भारत के सभी मंदिरों में भगवन श्री कृष्ण की पूजा आरती की जा रही है ,मथुरा वृंदावन ,द्वारका ,दिल्ली समेत पुरे देश में भगवान श्री कृष्ण को सजाया गया है ,तो वही पाकिस्तान के मंदिरों में भी भक्त पूजा पाठ कर रहे है। पाकिस्तान के रावलपिंडी में भगवान श्री कृष्ण का सबसे बड़ा मंदिर है। इस मंदिर को कांची मल और उजागर मल राम पांचाल द्वारा बनवाया गया था. 1947 जब देश का विभाजन हुआ था तो कुछ वक्त के लिए इसे बंद किया गया था, लेकिन बाद में फिर इस मंदिर को खोल दिया गया था. पहले तो यहां पर रहने वाले हिंदू इस मंदिर की देखरेख करते रहते थे, लेकिन बाद में 1970 में इसे ईटीपीबी के नियंत्रण में दे दिया गया था. 1980 के दशक तक तो पाकिस्तान के इस्लामाबाद में रहने वाले भारतीय राजदूत भी इस मंदिर में पूजा करने के लिए आते थे।
इसके अलावा पाकिस्तान में कई सारे मंदिर है लाहौर की बात करे तो यहाँ 20 से 22 मंदिर है लेकिन पूजा सिर्फ दो मंदिरों में की जाती है पहला श्री कृष्ण मंदिर तो दूसरा वाल्मीकि मंदिर है जहां पूजा होती है ।कृष्ण मंदिर केसरपुरा में मौजूद है, यहां जन्माष्टमी पर विधिवत पूजा की जाती है. एबटाबाद में भी श्रीकृष्ण का मशहूर मंदिर है, लेकिन फिलहाल यह खस्ताहाल में है. इस मंदिर में पूजा-पाठ नहीं होता है, लेकिन हिंदू श्रद्धालु मंदिर में पूजा करने के लिए आते हैं.
वही कराची की बात करे तो यहाँ स्वामीनारायण मंदिर एक ऐसा मंदिर है जहाँ हिन्दू धर्म और इस्लाम धर्म को मानने वाले दोनों लोग आते है इसमें हरे कृष्ण महाराज और राधा कृष्णदेव की मूर्तियां हैं.इसके अलावा अलावा क्वेटा में इस्कॉन मंदिर है जिसे भक्तों ने 2007 में पाकिस्तान सरकार से जमीन खरीदकर बनवाया था ये मंदिर भी काफी मशहूर है
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