पटना में STET अभ्यर्थियों पर लाठीचार्ज, TRE-4 से पहले परीक्षा कराने की मांग पर हंगामा ||
22 अप्रैल 2025 का वो दिन जब हर कोई टूरिस्ट प्लेस कहे जाने वाले पहलगाम में अपनी खुशियां मनाने में व्यस्त था सबके चेहरे पर जम्मू के वादियों के जैसी ही मुस्कान थी लेकिन अचानक से गोलियां चलती हैं और सब कुछ ख़त्म हो जाता है फिर उसके बाद वहां सुहागन महिलाओं को आतंकियों द्वारा ये कहा जाता है की जाके अपने पीएम मोदी को बता देना। वो खौफनाक दिन हिंदुस्तान के लोग जब याद करते है तो उनकी रूह हिल जाती है। इसके बाद भारत ने तमाम एक्शन किये जिसमे ओप्रशन सिंदूर खास रहा और जब ये हमला किया गया तो बड़ा सवाल था की आखिर ये करवाया किसने क्योंकि उसका उस दौरान TRF ने इस बात ठिकड़ा खुद के मथे फोड़ा था और कहा था की ये हुम्ला हमने किया है और पाकिस्तान ने इंकार कर दिया था लेकिन अब फिर से जब UNSC की रिपोर्ट जब सामने आई तो कुछ और ही कहानी पता लगी की ये हमला TRF के अकेले के बस की बात नहीं है इसके पीछे किसी बड़े आतंकी संगठन का हाथ है UNSC की सेंक्शन्स मॉनिटरिंग टीम ने अपनी ताजा 36वीं रिपोर्ट में खुलासा किया है कि द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने इस हमले की जिम्मेदारी दो बार ली थी और हमले की जगह की तस्वीर भी जारी की थी। इस हमले में 26 मासूम नागरिकों की जान गई थी। अब देखिये इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यह हमला पाकिस्तान आधारित लश्कर-ए-तैयबा के समर्थन के बिना मुमकिन नहीं था लेकिन हैरानी की बात यह है कि 26 अप्रैल को TRF ने अपनी जिम्मेदारी से मुकर गया। इसके बाद न तो TRF ने कुछ कहा और न ही किसी और आतंकी संगठन ने इस हमले का दावा किया। इसमें कहा गया है की पहलगाम हमला लश्कर-ए-तैयबा के समर्थन के बिना हो ही नहीं सकता था। एक अन्य देश ने तो यह तक दावा किया कि TRF और LeT एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। या यूँ लें की TRF लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा है जो उस दौरान pok में एक्टिव था
##rahulgandhi #narendermodi #pahalgaonaatack #breakingnews
#first1news #tranding #latestnews #viralnews