पटना 8 july
बिहार में तो मुंहबोला विकास बहुत है लेकिन प्रसाशन की लापरवाही वहां दिख जाती है जब बात जमीनी हकीकत की आती है अब आप खुद ही बताइये बिहार इस वक्त बाढ़ जैसी आपदा से जूझ रहा है और इसके बाद भी कोई खास प्रतिक्रिय नहीं हैं प्रशासन की लापरवाही से गंगा पथ बना खतरे का रास्ता, जलस्तर बढ़ने के बाद भी समय रहते तैयारी नहीं की गई पटना में गंगा के बढ़ते जलस्तर से गायघाट-दीदारगंज गंगा पथ का जलमग्न होना एक बार फिर प्रशासन की लापरवाही को उजागर करता है। हर साल बरसात में गंगा के उफान की संभावना रहती है, इसके बावजूद समय रहते जरूरी एहतियाती कदम नहीं उठाए गए। नतीजा यह हुआ कि सड़क और नदी के बीच का फर्क खत्म हो गया और लोगों की जान खतरे में पड़ गई।
स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर पहले से बैरिकेडिंग, चेतावनी बोर्ड और पुलिस चौकसी की व्यवस्था होती तो हालात इतने खराब नहीं होते। अब जब सड़क पूरी तरह पानी में डूब चुकी है, तब प्रशासन ने मार्ग बंद करने का आदेश दिया है। यह कदम भी तब उठाया गया जब दुर्घटना की आशंका सिर पर मंडराने लगी। सवाल यह है कि हर साल होने वाली ऐसी स्थिति के लिए स्थायी समाधान क्यों नहीं ढूंढा जा रहा? क्या प्रशासन केवल आपदा आने के बाद ही हरकत में आएगा? गायघाट, महावीर घाट, कंगन घाट सहित कई स्थानों पर गंगा पथ पूरी तरह से जलमग्न हो चुका है। गाड़ी चलाना तो दूर, अब पैदल चलना भी खतरे से खाली नहीं। हादसे की आशंका बढ़ने पर अंततः प्रशासन ने गुरुवार को इस मार्ग को आम जनता के लिए बंद कर दिया। मार्ग बंद करना ऐसा ही लग रहा है जब भूतिया फिल्मे देखते हुए कोई बच्चा अपनी आँखे बंद क्र लेता है और उसको लगता है भूत गया ठीक ऐसा हो रहा है बिहार में अनुमंडलाधिकारी सत्यम सहाय ने बताया कि संबंधित घाटों के पास बैरिकेडिंग कर दी गई है और पुलिस को तैनात किया गया है। लेकिन यह कार्रवाई तब की गई जब पानी सड़कों पर चढ़ चुका था। सवालों के घेरे में प्रशासन आ गया है
आखिर गंगा पथ जैसे महत्वपूर्ण मार्ग के लिए बाढ़ पूर्व तैयारी क्यों नहीं की जाती?
क्यों नहीं समय रहते चेतावनी बोर्ड, वैकल्पिक मार्ग और बचाव टीमों की तैनाती की जाती?
क्या जनता की जान जोखिम में पड़ने के बाद ही प्रशासन को होश आता है?
बिहार सरकार द्वारा करोड़ों रुपये खर्च कर बनाए गए इस गंगा पथ को स्मार्ट कनेक्टिविटी और यातायात का नया विकल्प बताया गया था, लेकिन अब यह स्मार्ट रोड नहीं, खतरे का रास्ता बन गया है। जब तक प्रशासन समय रहते योजना बनाकर क्रियान्वयन नहीं करेगा, तब तक ऐसी घटनाएं दोहराई जाती रहेंगी। ये जो बड़े बड़े वादे हैं जमीं पर फेल हो चुके हैं
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